आज का युग डिजिटल माना जाता है। आज कंप्यूटर आम जिंदगी का खास हिस्सा बन गया है। ऐसे में स्कूल में कंप्यूटर शिक्षा देना अनिवार्य हो गया है। लेकिन बिहार में सरकारी स्कूलों में कंप्यूटर क्लास और वहां रखे कंप्यूटर कबाड़ घर की तरह लगते है। जहां बिहार अपने आप को डिजिटल एजुकेशन देने की बात करता है बिहार के सरकारी स्कूलों में लाखों रुपये के कंप्यूटर के साथ-साथ महंगे उपकरण धूल फांक रहे हैं। बिहार के सरकारी स्कूलों में ज्यादातर कंप्यूटर लैब पर ताले लटके हैं. कई स्कूलों में तो कंप्यूटर लैब कबाड़खाना बन गया है।
सीतामढ़ीः सीतामढ़ी के MP हाई स्कूल के गार्ड ने जब कंप्यूटर लैब का ताला खोला तो किवाड़ खुलते ही जो पहली तस्वीर नजर आई। उससे हक्के-बक्के रह गए। यहां पूरा कंप्यूटर लैब कबाड़खाना बना है। यहां एक-एक सिस्टम सड़ गया है। लैब कबाड़ खाना बन गया है। कंप्यूटर लैब में दम घुटने लगता है। गार्ड ने बताया कि सालों से ये लैब लॉक है।
समस्तीपुरः ससमस्तीपुर के गर्ल्स हाई स्कूल में बेटियों को कंप्यूटर शिक्षा देने के लिए 10 कंप्यूटर लगाए गए थे। आलमीरा में ताला जड़ कर रखा गया है। 2017 के बाद से समस्तीपुर गर्ल्स हाई स्कूल में कंप्यूटर एजुकेशन बंद है। सरकार कहती है सब काम ऑनलाइन कराएंगे लेकिन जब कंप्यूटर शिक्षा की बात आती है तो शिक्षा महकमा मानों कान में रूई डाल लेता हो।
दरभंगाः बिहार के दरभंगा स्थित प्लस टू हाई स्कूल की कहानी भी कुछ सभी बिहार के सरकारी स्कूल के कंप्यूटर लैब की तरह है। यहां संदूक में कंप्यूटर को बंद कर बच्चों को डिजिटली एजुकेट किया जा रहा है। स्कूल के प्रिंसिपल साहब की दलील और हैरान करने वाली है। उन्होंने कंप्यूटर को संभालकर रखने के लिए पूरे 10 हजार रुपये खर्च किए हैं तब जाकर 10 हजार के इस बक्से में सरकारी सिस्टम को संभाला गया है।
पूर्णियाः गर्ल्स हाई स्कूल का कंप्यूटर लैब पिछले 12 सालों से है लेकिन यहां 10 कंप्यूटर धूल फांक रहा है। शुरुआती दिनों में कुछ क्लास चला लेकिन जैसे ही कांट्रेक्चुअल टीचर का टेन्योर खत्म हुआ कंप्यूटर एजुकेशन मनो खत्म ही हो गया हो। लैब में पड़े पड़े कंप्यूटर धूल मर छिपते जा रहे है।