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भारत के उत्तराखंड में स्थित है एक ऐसा मंदिर है जो अपनी चुंबकीय विशेषताओं के लिए भारत ही नहीं पूरी दुनिया में फेमस है। ये कुमायूं क्षेत्र के अल्मोड़ा जिले में बसा कसार देवी मंदिर है। भारत में भी इसे एक विशेष धार्मिक स्थल माना जाता है। हालांकि, इसे वैज्ञानिकों के द्वारा कभी महत्व नहीं दिया गया। इसके भू-चुंबकीय प्रभाव को नासा ने भी मान्यता दी है। पृथ्वी में ऐसे चुंबकीय प्रभाव वाले केवल 3 स्थान हैं जिनमें से एक यह मंदिर है।
स्वामी विवेकानंद ने यहां किया था ध्यान
आपको बता दें कि इस मंदिर के दर्शन कई महान हस्तियों ने भी किये है। जैसे यहां स्वामी विवेकानंद, गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर के अलावा तिब्बती बौद्ध गुरु लामा अंगारिका गोविंदा, पश्चिमी बौद्ध शिक्षक रॉबर्ट थुरूमैन भी यहां पहुंचे हैं तो डीएस लॉरेंस, कैट स्टीवन्स, बॉब डिलान, जॉर्ज हैरिस, डेनमार्क के एल्फ्रेड सोरेनसन समेत कई लोग यहां आ चुके है। इतना ही नहीं 1890 में स्वामी विवेकानंद ने यहां की पहाड़ी के एक एकांत गुफा में बहुत गहन ध्यान क्रियाएं की थी.
मां दुर्गा का रूप मानते है लोग कसार माता को
जिस गांव में ये मंदिर बना है वो समुंद्र तट से करीब 2116 मीटर की ऊंचाई पर स्थित अल्मोड़ा बाघेशवर राजमार्ग से बिलकुल साफ दिखाई पड़ता है। इस पूरे गांव को इस मंदिर के नाम से ही जाना जाता है। मंदिर में स्थित कसार माता को दुर्गा मां का रूप माना जाता है जिसके कारण मंदिर का एक विशेष महतव है।
दूसरी सदी में बना था मंदिर
जारकारी के अनुसार ये मंदिर बिलकुल साधारण पत्थरों से बना है। बताया जाता है कि मंदिर को दूसरी सदी में बनाया गया था। मंदिर पूरी तरह से चीड़ और देवदार के पेड़ों से घिरा हुआ है।
मुल मंदिर को गुफा को काटकर बनाया गया था लेकिन आज जो मंदिर नजर आता है वो बिड़ला परिवार द्वारा 1948 में बनवाया गया था। देवी की मंदिर के अलावा यहां भगवान शिव का भी एक मंदिर स्थित है जो 1950 में बना था।
क्या है वैज्ञानिको का मानना
वैज्ञानिकों के अनुसार मंदिर में इस चुंबकीय विशेषताओं का संबंध पृथ्वी के ठीक बाहर मौजूद चुंबकीयमंडल या मैग्नेटोस्फिर से है। पृथ्वी के मैग्नेटोस्फियर के कारण भारी संख्या में ऊर्जावान आवेशित कण एक परत बनाए हुए हैं जिसे वैन एलन रेडिएसन बेल्ट कहते हैं। इसमें अधिकांश कण यहां पर सूर्य से पृथ्वी की ओर आ रही। सौर पवनों और खगोलीय विकिरण की वजह से हैं।
नासा के अनुसार क्या है कारण
कसार देवी मंदिर को लेकर नासा ने भी पुष्टि की है कि इस मंदिर में भू-चुंबकीय विशेषताएं है। नासा ने बताया है कि पृथ्वी की भूमैग्नेटिक फील्ड कि विशेषता यह है कि यह सौर पवनों को रोक लेती है और इन ऊर्जावान कणों को बिखरा कर हमारे वायुमडंल को नष्ट होने से बचा लेती है। इस पट्टी का नाम इसके खोजकर्ता जेन्स वैन एलन के नाम पर रखा गया है, जो इओवा यूनिवर्सिटी के अंतरिक्ष विज्ञानी थे।