द फॉलोअप डेस्क
कला एकीकरण हर बच्चे तक पहुंचने और उसे पढ़ाने की दिशा में एक संयोजक मार्ग की तरह है। यह शिक्षकों को उनके पेशेवर विकास में सशक्त बनाता है। इस उद्देश्य को समर्पित सीबीएसई, सीओई, पटना के तत्वधान में कैपिसिटी बिल्डिंग प्रोग्राम के अंतर्गत शिक्षकों के लिए जवाहर विद्या मंदिर, श्यामली के दयानंद प्रेक्षागृह में कला एकीकरण (आर्ट इंटीग्रेशन) विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन हुआ।
इस कार्यशाला में मैक्स्लूसकी गंज, लातेहार और रांची प्रक्षेत्र के विभिन्न सीबीएसई विद्यालयों के लगभग 65 शिक्षकों ने कार्यशाला में हिस्सा लिया। इस कार्यशाला में ग्रीनलैंड पब्लिक स्कूल, हटिया की प्राचार्या पल्लवी सिंह और ऑक्सफोर्ड पब्लिक स्कूल के उपप्रचार्य खुशी राम झा ने रिसोर्स पर्सन के रूप में पीपीटी, ऑडियो-वीडियो तथा अन्य क्रियाकलाप के द्वारा प्रदत्त विषय को विस्तार से समझाया। इन्होंने 4 सत्र के अंतर्गत शिक्षा के क्षेत्र में कला एकीकरण से परिचय व संबंध, पाठ्यक्रम में कला एकीकरण का योजनाबद्ध प्रवेश, प्रायोगिक शिक्षा के माध्यम से कला एकीकरण का विकास तथ कला एकीकरण पर सीबीएसई हैंडबुक की जांच जैसे विषय पर गहनतम प्रकाश डाला।
रिसोर्स पर्सन ने बताया कि कला एकीकरण, सीखने-सिखाने का एक मॉडल है। इसमें कला के निर्देश को बढ़ाने के लिए दूसरे विषयों के साथ जोड़ा जाता है। छात्रों को कला के प्रवेश बिंदु के तौर पर विषय वस्तु सीखने का मौका मिलता है जिससे बच्चों में आलोचनात्मक सोच, समस्या-समाधान और धैर्य-दृढ़ता जैसे कौशल विकसित होते हैं। यह विद्यालय में सहयोग, सहकारिता और आत्मविश्वास का माहौल बनाने के साथ दीर्घकालिक अवधारणा में भी सुधार होता है।
कार्यशाला में प्रशिक्षु शिक्षकों ने भी उत्साहपूर्वक ज्ञानवर्धन किया। क्रियाकलाप में इनकी सक्रियता देखते बनती थी। प्राचार्य समरजीत जाना ने सभी आगंतुक शिक्षकों का स्वागत करते हुए कहा कि आज का सेमीनार प्रशिक्षु शिक्षकों के लिए मार्गदर्शिका की तरह कार्य करेगी। छात्रों को सबसे अच्छा अधिगम तब मिलता है जब पाठ्यक्रम के रूप में कला, कला-संवर्धित पाठ्यक्रम और कला-एकीकृत पाठ्यक्रम - तीनों विविधताएं, उनकी शिक्षा का हिस्सा हों। हम उम्मीद करते हैं कि कला एकीकरण की आज की कार्यशाला से छात्रों के शैक्षणिक प्रदर्शन में सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।