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93 वर्ष पहले हुए म्यूनिसिपल सर्वे में शामिल जमीन के सारे रिकॉर्ड होंगे डिजिटलाइज्ड   

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द फॉलोअप टीम :

राजधानी में 93 वर्ष पहले हुए म्यूनिसिपल सर्वे (एमएस) में शामिल जमीन के सारे रिकॉर्ड डिजिटलाइज्ड होंगे। 1929 में तत्कालीन म्यूनिसिपैलिटी द्वारा एमएस कराया गया था। उस समय जमीन का जो खतियान तैयार किया गया था, उसकी स्कैनिंग की जाएगी। इसके बाद उसे ऑनलाइन किया जाएगा, ताकि संबंधित लोग अपनी जमीन का खतियान ऑनलाइन प्राप्त कर सकें। सभी खतियान स्कैन कर डिजिटल फॉर्म में कर ई-रिकॉर्ड रूम बनाने के लिए नगर निगम सर्विस प्रोवाइडर कंपनी की तलाश कर रहा है। इसके लिए टेंडर निकाला गया है। इसी माह टेंडर खुलेगा। इसमें सफल होने वाली कंपनी को म्यूनिसिपल सर्वे के दस्तावेज ऑनलाइन करने का काम दिया जाएगा।

नए सिरे से नहीं हुआ जमीन का सर्वे 

घर का नक्शा पास कराने, बैंक से लोन लेने और कोर्ट में चल रहे केस में जमीन के खतियान की मांग की जाती है। सर्वे खतियान नहीं होने से कई बार लोगों को 1932 में हुए रिविजनल सर्वे के खतियान से काम चलाना पड़ता है। हालांकि, रेकर्ड रूम में रखे गए आरएस सर्वे खतियान की स्थिति भी खराब है। अधिवक्ता राजेश कुमार ने बताया कि 1929 के म्यूनिसिपल सर्वे के बाद नगर निगम क्षेत्र का नक्शा बदल गया। जमीन का नेचर भी बदल गया है। इसके बावजूद इतने वर्षों में नए सिरे से जमीन का सर्वे नहीं हुआ, जबकि हर 10 वर्षों के अंतराल पर जमीन के सर्वे का प्रावधान है।


सर्टिफाइड कॉपी लेने में 20 दिनों का लगता है समय                                                                                                                                                   
सर्वे से बने खतियान की स्थिति काफी खराब है। जिस कागज पर खतियान बनाया गया था, वह अब गलने लगा है। छूने से खतियान टुकड़ों में बंट जाता है। कई क्षेत्र की जमीन के खतियान रेकर्ड रूम से गायब हैं। कई खतियान के पन्ने फटे हुए हैं। इससे खतियान की जरूरत पड़ती है तो लोगों को नहीं मिलता। सत्यापित कॉपी लेने के लिए आवेदन देने के बाद 20 से 25 दिनों तक इंतजार करना पड़ता है, क्योंकि रेकर्ड रूम में रखे गए खतियान एक-दूसरे पर रखे हुए हैं। उसे सावधानी से हटाना पड़ता है कि वह छूने से फट न जाए।